दर्द रहीत खून का आना, गुदा से मस्से बहार आना, मस्से अपने आप अंदर चले जाना अथवा हाथ से अंदर डालना,खुजली का होना, कभी कभी दर्द होना, पेट साफ होने वाली संतुस्टि न होना ।
1. पहली अवस्था में रोगी को केवल शौच के वक्त खून आता है
2. दूसरी अवस्था में खून के साथ मस्से भी दिखाई पार्टी है जो अपने आप सोच के पश्चात सिकुड़ जाते है
3. तीसरी अवस्था में मस्सो को हाथ से अंदर डालना परता है
4. चौथी एवं अंतिम अवस्था पर मस्से हाथ से भी अंदर नहीं जाते है तथा रोगी को भयंकर पीड़ा होती है
चिकित्षा (Treatment)
पहली एवं द्वितीय अवस्था में दवा एवं टिका कारगर है तीसरी एवं चौथी अवस्था में क्षारसूत्र कर्म श्रेस्ट हैं |
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