आमतौर पर गुदा क्षेत्र में होने वाली किसी भी परेशानी को पाइल्स का नाम दे दिया जाता है जबकि इसके अतिरिक्त भी फिशर, फिस्टुला, पाइलोनिडल साइनस जैसी कई बीमारियां भी गुदा क्षेत्र में होती हैं।
सामान्यत: पाइल्स या गुदा संबंधित बीमारियां किसी भी आयु वर्ग में हो सकती है परन्तु 30-60 वर्ष के आयु वर्ग में ये व्याधियां मुख्यतः होती हैं।
विभिन्न गुदा रोगों के होने का मुख्य कारण पेट संबंधित परेशानिया है। अगर किसी व्यक्ति का पाचन तंत्र कमजोर है या उसको लगातार कब्ज की शिकायत रहती है तो उसको गुदा रोग होने की संभावना अधिक रहती है अतः बचाव के लिए कब्ज नहीं होने देना चाहिए तथा निम्न बातों को अपनाना चाहिए
इसके अतिरिक्त यदि समस्या पुरानी है या खान पान के परहेज आदि लक्षणों में आराम नहीं मिलता है तो निकटतम गुदा रोग विशेषज्ञ से संपर्क कर जांच करानी चाहिए ।
प्रारंभिक अवस्था में बीमारी को आयुर्वेदिक औषधियो Conservative Treatment से ठीक किया जा सकता है यदि बीमारी गंभीर है या अधिक समय से है तो उस स्थिति में Surgical/Para surgical Procedures से उसको जड़ से ठीक किया जा सकता है। जिनमें आयुर्वेदिक क्षार सूत्र एक Time Tested एवं प्राचीन चिकित्सा विधि है जिससे विभिन्न गुदा रोग जैसे Piles, Fissure, Fistula को जड़ से ठीक किया जा सकता है।